हर रात सुकून भरी नहीं है,
कब किसे जगाये, कब किसे सुलाए,
ये वक़्त किसी का सगा नहीं है,
वक़्त वक़्त कि बात है....वक़्त किसी का नहीं है!
कभी लगे दुनिया हसीन,
तो कभी लगे नमकीन,
कभी हंसाये तो कभी रुलाये,
कभी करवटें दिलाये तो कभी थपकी देके सुलाए,
पल-पल कि माला से बनती ज़िन्दगी कि लड़ी है,
कब टूट जाए ये डोर किसी को पता नहीं है,
वक़्त वक़्त कि बात है.... वक़्त किसी का नहीं है!
जब कारे बादल ढक लें किरणों को अपनी ओड़ में
जब कुछ समझ ना आये जीवन कि भाग-दौड़ में,
जब सूरज लगे उदास और चंदा लगे निराश,
जब कोयल गाये बेराग और मिठास लगे खटास,
समझ लेना जो बोया था उसे पाने कि घड़ी नज़दीक ही है,
वक़्त कि पोटली अब भर चुकी है,
वक़्त वक़्त कि बात है.... वक़्त किसी का नहीं है!
रंगों से खेलना सबको भाता है
हर कोई अपनी ही धुन में गाता है,
रंगों का क्या कहना, रंगीन ज़िन्दगी सब चाहते हैं,
तभी तो अपनी अलग धुन सब बनाते हैं,
मगर दीवानों, गुम ना जाना इस मेले में,
भूल ना जाना जीवन के खेले में,
कि सुर पुराने भी लगते हैं, रंग फीके भी पड़ते हैं,
हालात कभी एक से रहते नहीं,
बीते दिन वापस कभी आते नहीं,
शायद इसिलए वो कहते हैं कि समय का कुछ पता नहीं है,
वक़्त वक़्त कि बात है.... वक़्त किसी का नहीं हैं!
--- सेतु
फोटो क्रेडिट: गूगल इमेज
Media - Now a dayz is d most corrupt place..
ReplyDeleteWaiting 4 ur comment...
n sorry 4 being Judgemental.
yeah...to an extent..but wich profession is not?
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