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Showing posts from March, 2010

वक़्त वक़्त कि बात है.... वक़्त किसी का नहीं है!

हर दिन एक सा नहीं है हर रात सुकून भरी नहीं है, कब किसे जगाये, कब किसे सुलाए, ये वक़्त किसी का सगा नहीं है,   वक़्त वक़्त कि बात है....वक़्त किसी का नहीं है! कभी लगे दुनिया हसीन, तो कभी लगे नमकीन, कभी हंसाये तो कभी रुलाये, कभी करवटें दिलाये तो कभी थपकी देके सुलाए, पल-पल कि माला से बनती ज़िन्दगी कि लड़ी है, कब टूट जाए ये डोर किसी को पता नहीं  है, वक़्त वक़्त कि बात है.... वक़्त किसी का नहीं है! जब कारे बादल ढक लें  किरणों को अपनी ओड़ में जब कुछ समझ ना आये जीवन कि भाग-दौड़ में, जब सूरज लगे उदास और चंदा लगे निराश, जब कोयल गाये बेराग और मिठास लगे खटास, समझ लेना जो बोया था उसे पाने कि घड़ी नज़दीक ही  है, वक़्त कि पोटली अब भर चुकी  है, वक़्त वक़्त कि बात है.... वक़्त किसी का नहीं है!    रंगों से खेलना सबको भाता है हर कोई अपनी ही धुन में गाता है, रंगों का क्या कहना, रंगीन ज़िन्दगी सब चाहते हैं, तभी तो अपनी अलग धुन सब बनाते हैं, मगर दीवानों, गुम ना जाना इस मेले में, भूल ना जाना जीवन के खेले में, कि सुर पुराने भी लगते हैं, रंग फीके भी पड़ते हैं, हालात कभी एक से रहते नहीं, बीते दिन वापस कभी आते

सोच रहीं हूँ सोचूं... लेकिन सोचना चाहती नहीं

सोचती हूँ सोचूं यूँही बैठे-बैठे ख्याल आया की कुछ सोचूं, जब सोचने बैठी तो लगा क्या होगा सोचके, क्या लोग बदल जाएंगे, या वक़्त बदल जाएगा, ज़िन्दगी आसान हो जाएगी, या इंसान कि बुद्धि राह पे आएगी, सोचती हूँ सोचूं लेकिन क्या सोचूं! ये ज़िन्दगी क्यूँ है, हम इन्सान क्यों हैं, हम जीते क्यूँ हैं, हम मरते क्यूँ हैं, वक़्त क्यूँ ठहर नहीं जाता, सब अछा क्यूँ  हो  नहीं जाता, झूठ मर क्यूँ नहीं जाता, सच वक़्त पे सामने क्यूँ नहीं आता, सोचती हूँ सोचूं लेकिन क्यूँ सोचूं! रह-रह के ख्याल आता है मन में अगर सब सोचें तो क्या होगा जीवन में, सुधर जाएंगे सबके रात दिन, थोड़ा आसन हो जाएगा जीवन, जीवन साँसों की नाज़ुक कड़ी है, दुनिया जीवन की परीक्षा लेने खड़ी है, क्यों न इस परीक्षा की घड़ी में, दें एक दुसरे का साथ, और बनाएं पूरी दुनिया को अपना परिवार! सोचती हूँ सोचूं लेकिन कब सोचूं! जब सब खत्म हो जाएगा तब, या लड़ते-लड़ते थक जाउंगी तब, जब थक जाएगी ज़िन्दगी तब, या मैं ज़िन्दगी से थक जाउंगी तब! वक़्त से जो लड़ा वो न रहा कहीं का, सुना था दादी से बचपन में, दादी भी हार गयी थी दुनिया से, अब आता है समझ में, कहती थी वो क

Lessons life teach.....

Super hectic and emotionally boiling days since my last blog, everything has gone upside down since then. Was already going through turbulent times on professional front, even personal relationships went sour. WHY??? Iam asking it and i know that i know the answer...which too is related to the former front. People cannot see other's being praised about..be it friends...your trusted ones...ooops! to whom i considered my (fake)friends and puked everything in front of them,.,,and what did they do? BACK STABBING!!  Life has made me experienced those feelings and emotions which were unknown to me. Feelings of being back stabbed, betrayed, being bitched about, boycotted, prohibited.... and the list of terrible emotions goes on. Life was never such a bitch to me. But now after i see that phase passing and life coming back to normal sans fake friends..i realise the importance of my near & dear ones who are with me unconditionally.  Life teaches you lessons at strange times in strange